हमारी सेवाएं

प्रिये भक्तगण ! उलार सूर्य मंदिर में आपका स्वागत है। हमारी मुख्य सेवाएं नीचे दी गयी है।

दिव्य-अर्पण एवं कर्मकाण्ड

भगवान् का भोग, दरिद्रनारायण भोज, शृंगार, साधुसेवा, अखण्ड-ज्योति, ध्वजारोहण, पुष्प शृंगार

पूजा-अर्चना

रुद्राभिषेक, सत्यनारायण कथा, हनुमत्-पूजन, रामार्चा-पूजन, बृहद्-मनोकामना यज्ञ, जन्म-मंगलानुष्ठान, ग्रहशान्ति हवन, रोगशान्ति हवन, मुण्डन

जप एवं पाठ

महामृत्युंजय जप, अन्य ग्रहमन्त्र जप, सन्तान-गोपाल-मंत्र जप, सुन्दरकाण्ड रामचरितमानस/वाल्मीकि-रामायण, श्रीदुर्गासप्तशती, श्रीरामरक्षा-स्तोत्र, कलश-स्थापना, श्रीमद् भागवत कथा

सेवाएं

वाहन-पूजा

वाहन-पूजा - दो चक्का, मोटर साइकिल, तीन चक्का एवं उससे अधिक.

ज्योतिष परामर्श

हस्तरेखा अथवा जन्म-कुण्डली परीक्षण, गणना

कुण्डली निर्माण एवम विवाह समारोह

वर-वधू-कुण्डली मिलान ,विवाह समारोह ,छेका , सामूहिक विवाह, रिंग सेरेमनी

मंदिर के बारे में

देश के प्रमुख सूर्य मंदिर में से एक है पटना जिले के दुल्हिनबजार स्थित उलार सूर्य मंदिर। देश के 12 अर्क स्थलों में कोणार्क और देवार्क के बाद उलार्क ( उलार ) सूर्य देव की सबसे बड़े तीसरे अर्क स्थल के रूप में माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब ऋषि-मुनियों के श्राप के कारण कुष्ठ रोग से पीड़ित हो गए थे। बाद में देवताओं के सलाह पर उन्होंने उलार के तालाब में स्नान कर सवा महीने तक सूर्य की उपासना की थी। इससे वे कुष्ठ रोग से मुक्त हो गए थे। कथा के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण के पुत्र शाम्ब सुबह की बेला में स्नान कर रहे थे, तभी गंगाचार्य ऋषि की नजर उन पर पड़ गई। यह देख ऋषि आगबबूला हो गए और शाम्ब को कुष्ठ से पीड़ित होने का श्राप दे दिया। इसके बाद देव ऋषि नारद ने श्राप से मुक्ति के लिए उन्हें 12 स्थानों पर सूर्य मंदिर की स्थापना कर सूर्य की उपासना करने को कहा। इसके बाद शाम्ब ने उलार्क, लोलार्क, औंगार्क, देवार्क, कोर्णाक समेत 12 स्थानों पर सूर्य मंदिर बनवाए। तब जाकर उन्हें श्राप से मुक्ति मिली।

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उलार धाम

सभी त्योहारों की अपनी परंपरा होती है जिससे संबंधित जन-समुदाय इनमें एक साथ भाग लेता है । त्यौहार ही एक ऐसा वक़्त है जो किसी भी जाति के लोगो के बीच एकता बनाये रखने के प्रतिक है।

हमारे जीवन में त्योहारों का बड़ा महत्व है। सभी त्योहारों की अपनी महत्व होती है जिससे संबंधित जन-समुदाय एक साथ मिलकर भाग लेते है ।

में मनाए जाने

प्रत्येक वर्ष कार्तिक एवं चैत माह में चार दीबीसीय लोक आस्था का महापर्व छठ अनुष्ठा हर्षोल्लाष के साथ मनाया जाता है

हमारे जीवन में त्योहारों का बड़ा महत्व है। सभी त्योहारों की अपनी महत्व होती है।

वाले पर्व

यहाँ माह के प्रतियेक रविवार को श्रीदालु उपासक पवित्र अस्थान पर स्नान कर भगवन

भाष्कर की प्रतिमा पर जलाभिषेक एवं दूधाभिषेक के साथ पुष्प अर्पित करते है।

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